
हरियाणा में महेन्द्रगढ़ जिले के एक छोटे से गाँव से निकलकर दर्शन शास्त्र में पी-एच. डी। पत्रकारिता की पढ़ाई करने के बाद कुछ समय दूरदर्शन और इंडिया टी.वी. में कार्य किया, अब टी.वी. कार्यक्रम निमार्ण में सक्रिय।
हरियाणा नाम का एक देश है जो पृथ्वी पर स्वर्ग के समान है। ये पंक्तियां एक पुरातन लेख से ली गई हैं और आधुनिक हरियाणा के विकास की रंगोली ने इन्हें पुनः रंगीन कर दिया है।

हरियाणा में प्रचलित‘‘बम लहरी’’ की खनक सरहदों के पार महसूस की जाए, शादी-ब्याह में बाजे बजें और फसल कटे तो सारंगी। यो सै 'म्हारा हरियाणा' लगभग दो वर्ष पहले दूरदर्शन के लिए ‘म्हारा हरियाणा’ कार्यक्रम बनाना शुरू किया। कार्यक्रम की शूटिंग के दौरान लोगों से सीधा संवाद स्थापित किया। इसी बहाने उनके दुःख दर्द और समस्याओं को जानने का अवसर मिला। हम दर्द की दवा नहीं बेचते लेकिन कोशिश है कि वंचित लोग ज्यादा से ज्यादा जागरूक हों जिससे उनके अधिकारों की बहाली हो सके। जब कार्यक्रम बनाने शुरू किए तब कुछ शुभचिंतकों ने ग्रामीण पृष्ठभूमि पर आधारित कार्यक्रमों की सफलता पर सन्देह जाहिर किया था।मेरा उद्देश्य आंशिक रूप से ही उसी दिन पूरा हो गया जब सातवीं कक्षा में पढने वाली एक गाडिया लुहार बच्ची ने परीक्षा में प्रथम स्थान हासिल करने पर अपने डेरे पर आमन्त्रित किया। कुछ समय पहले उस बच्ची के अभिभावकों को सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए प्रोत्साहित किया था।ऐसे लोग जिनको जीवन का हर दिन संघर्ष की इबारत से शुरू होता है उनके लिए कार्यक्रम में पहले से ही काफी जगह हमने निश्चित कर दी थी। दिल्ली की मंडी में हौसले गिराकर हिम्मत रखने की बात करने वालों को हमने नजदीक से देखा है। फिर भी दुनिया के असली मायने आखिर तक समझ में नहीं आते।
मन लागा यार फकीरी में किस्मत हाथों की लकीरों में ठुकरा दे जमाने को, आ बैठ फकीरी में हमारे प्रयासों की झलक आपको मिलती रहेगी। अपने अनुभवों को हम आपसे साँझा करते रहेगे अगर आप चाहें ..... बड़े शायर की इन पंक्तियों के साथ ...
अगर फुर्सत मिले
पानी की तहरीरों को पढ लेना, हर एक दरिया हजारों साल अफसाना सा लगता है। शेष फ़िर... आपका अपना डॉ.कृष्ण कुमार
आएंगे, दुनिया के असली मायने भी आखिर समझ में आएंगे।
ReplyDeleteकोशिश करेंगे तो कहां बचकर जा पाएंगे?
अपने आयामों को विस्तार दीजिए।
सुस्वागतम्.....
haryana to mhara bhee sai chhore,narayan narayan
ReplyDeleteब्लॉगिंग पर स्वागत
ReplyDeleteउस आदमी द्वारा जिसने हरियाणवी उपन्यास’समझणिये की मर लिखा जो कुरुक्षेत्र विश्व वि.व महऋषि दयानद विश्व.वि.के एम.ए फ़ाइनल के पाठ्यक्रम में शामिल है,हरियाणवी बोली की प्रथम दोहा सतसई-औरत बेद पाचंमां सहित हिन्दी पंजाबी हरियाणवी की २० पुस्तक लिखी व लखमीचंद पुरुस्कार से नवाजा गया
एक दोहा देखें
बीर मरद म्हं हो रह्यी एकै बस तकरार
घर का माल्यक कूण सै,जिब तनखा इकसार
‘.जानेमन इतनी तुम्हारी याद आती है कि बस......’
इस गज़ल को पूरा पढें यहां
श्याम सखा ‘श्याम’
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हिंदी भाषा को इन्टरनेट जगत मे लोकप्रिय करने के लिए आपका साधुवाद |
ReplyDeleteBlog jagat me aapka swagat hai.
ReplyDeletei like ur work
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