Friday, August 16, 2019

पराशर झील

पराशर झील 

 मैंने इतना जाना है कि पूर्व नियोजित यात्रांएं कभी पूरी नहीं होती इसलिए इन यात्राओं के लिए मैंने किसी प्रकार का कोई नियोजन नहीं  किया। यात्रा का अगला पड़ाव पराशर है .. साथ में हैं स्वरुप डोगरा जी और दीपू भाई।

पराशर झील मंडी से उत्तर दिशा में लगभग 50 किलोमीटर दूर एक प्राकृतिक झील है।प्राकृतिक सुंदरता के अलावा इस झील में तैरता भूखंड एक आश्चर्य है.  झील के किनारे पैगोडा शैली में सुंदर मंदिर बना हुआ है जिसे 14वीं शताब्दी में मंडी रियासत के राजा बाणसेन ने बनवाया था। यह अद्भुत मंदिर 12 वर्ष में बनकर तैयार हुआ जिसे  देखने के लिए कला संस्कृति प्रेमी पर्यटक यहाँ लगातार आते हैं। ऐसा माना जाता है कि जिस स्थान पर मंदिर है वहां ऋषि पराशर ने तपस्या की थी। पिरामिड आकार की पैगोडा शैली के काठ से निर्मित मंदिर की भव्यता अपने आप में उदाहरण है। मंदिर के निर्माण में पत्थरों के साथ लकड़ी के प्रयोग ने मंदिर को कलात्मकता प्रदान की है। मंदिर के बाहरी स्तंभों पर की गई नक्काशी शानदार और अद्भुत है।

पराशर आने वाली गड़ियों को झील से थोड़ा पहले रुकना होता है फिर पैदल ही झील तक पहुंचा जाता है। ये सही भी है कि इसी वजह से इस देव भूमि और झील का प्राकृतिक सौंदर्य बचा हुआ  है।
यह जगह बेहद शांत और चहल- पहल से दूर है। पराशर झील की यात्रा कभी भी किसी भी मौसम में की जा सकती है। सर्दियों के मौसम में जब यहाँ बर्फ पड़ती है तब  झील और इसमें बसे टहला का नज़ारा गजब का होता है। पराशर झील के लिए 8 किलोमीटर की  ट्रेकिंग भी की जा सकती है।आप ये जगह देखना चाहते हैं तो अपने बैग में (गर्म) कपड़े  डालिए और निकल पड़ें पराशर के लिए ... यहां आकर कुदरत के साथ आनंद मनाइए और ख़ूबसूरत लम्हों को अपनी आत्मा के साथ अनुभव करिए।




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