मित्रो!
आज बहुत दिनों बाद आप से मिलना मुनासिब हुआ है। ब्लॉग बना देने से मैं इसलिए भी बचता रहा हूँ कि अक्सर ऐसा होता है कि क्षणिक उत्तेजना में ब्लॉग का सृजन तो हो जाता है लेकिन नियमित लेखन होना थोडा मुश्किल होता है।खैर !हिंदी के ब्लॉग जगत में भले ही म्हारा हरियाणा अभी शिशु ही है लेकिन अपना प्रयास रहेगा कि संवाद में संवेदना बनी रहे. ग्रामीण भारत के उन पहलुओ से आपको रूबरू करवाया जा सके जो अब तक हाशिये पर है। इस ब्लॉग के कंटेंट को लेकर भी कोई खास किस्म का नियोजन नहीं किया गया है . बस प्रयास किया जाएगा कि आपको यहाँ एक अपनेपन का एहसास हो॥अब कुछ अपनी बात...... मेरे जैसे और भी बहुत से देहात से आये लोगो कि ये स्थाई पीडा रही है कि अपनी पेशेवर जगत में खुद को अपने मौलिक रूप से बचाए रखना बड़ा काम है,जब मैं घर से निकला था तब कोरा भावुक मन था, जैसा खुद महसूस करता था वैसी ही दुनिया को भी समझता है लेकिन ज्यों-ज्यों इस दुनियादारी से साबका होता गया मौलिक मान्यताएं भी बदली है..भाषा,क्षेत्र,जाति को लेकर इस तथाकथित बुधिजिवी वर्ग में इतने पूर्वाग्रह देखने को मिले कि कभी- कभी मन बड़ा खिन्न हो जाता था. एक बहुत बड़े वर्ग का ये मानना रहा है कि हरियाणा, और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोग पढने लिखने में कैसे माहिर हो सकते है? पूर्वी उत्तर प्रदेश में भाषा का पांडित्य उनके पिछडेपन को कभी जाहिर नहीं होने देता था और वर्ग विशेष कि स्वयं श्रेष्टतावादी सोच सभी से जग जाहिर है. बुधिजिवियो के व्यंगबाण हमे भी तोड़ देते अगर एक जिद्दी धुन न होती खुद की शर्तो पर जीने की............ बस यही एक प्रेरणा का साधन रही है. भारतीय समाज के सबसे बड़े मीडिया माध्यम हिंदी फिल्मो ने हरियाणा की समृद्ध लोक संस्कृति को फूहड़ हास्य की विषयवस्तु बनाया है। यहाँ की बोली का एक ठेठपन अपनी मौलिकता की छाप छोड़ने के बजाय सस्ता हास्य बन कर रह गयी है . बाजार ने इसके मर्म पर चोट की है और अफ़सोस बस यही है कि इस प्रगतिशील समाज में ऐसे बौद्धिक रचनात्मक फिल्मकारों को कभी इसका एहसास नहीं होगा कि वो समाज को एक समृद्ध लोक संस्कृति की क्या तस्वीर दिखा रहे है? ऐसे ही कुछ ग्रामीण लोक संस्कृति, साहित्य,बोली,भाषा,लोक प्रतिभा और ग्रामीण समाज के विमर्श का मंच बनाया जाएगा म्हारा हरियाणा को...
अंत में एक निवेदन और है आप सभी से कि म्हारा हरियाणा को कदाचित भी क्षेत्रवाद से जोड़ के न देखा जाए . ये सम्पूर्ण भारतीय ग्रामीण समाज की लोक चेतना का मंच है और हरियाणा कि मिट्टी तो बस इसकी निमित्त मात्र है!
अभी बस इतना ही अगली पोस्ट में एक नए तेवर और कलेवर के साथ मुलाकात होगी...
आपका अपना
डॉ.कृष्ण कुमार
म्हारा हरियाणा से काफी उम्मीदें हैं...
ReplyDeleteनियमित न सही कभी कभी लिख दिया कीजिये....
शुभकामनायें....
www.nayikalam.blogspot.com
कुमार साहेब: आपका ब्लॉग का लिंक मुझे मेरे मित्र अकबर खान जी ने भेजा. बहुत अच्छा लगा. कृपया इस वेबसाइट को भी देखिये
ReplyDeletewww.narnaul.org
आपके ब्लॉग पर आपका संपर्क नहीं मिला. मेरे इस ईमेल पर (pedia333@gmail.com )अपना संपर्क सूत्र अवश्य भेजिए.
www.mifusa.org
HI
ReplyDeleteMY NAME IS VINEET
M A JOURNALIST
WISH TO GET IN TOUCH WIITH YOU
M COVERING HARYANA ELECTIONS
MY MOBILE IS 9873425396
ITS URGENT
THANKS