Sunday, April 10, 2011

घर जाने की जल्दी जो नहीं है....

कुछ समय से दो शार्ट फ़िल्में बनाने में लगा हूँ । इस महीने के अंत तक काफी काम निपट जाएगा । आमतौर पर मैं अपने कार्यकर्मो की स्क्रिप्ट खुद ही लिखता हूँ लेकिन कुछ समय से एक स्क्रिप्ट राईटर मेरे साथ काम संभाल रहे हैं, बेहद शालीन और अनुभवी। शालीनता और अनुभव की तो मैं कह नहीं सकता लेकिन हम दोनों में एक बड़ी समानता ये है कि दोनों को ही घर जाने की जल्दी नहीं होती ।जहाँ शाम हुई वहीं रात गुजार लेते हैं।


पिछले दिनो एक लड़के ने मुझसे पूछा कि क्या अगले दो दिन में हम शूटिंग पूरी कर लेंगे ? मैने उसी शाम उसको विदा कर दिया। उसकी जल्दी की वजह ये थी कि उस युवा पत्रकार ने अपनी गर्लफ्रेंड से दो दिन बाद मिलने का वादा किया था ।बाद में महसूस हुआ की मुझे गुस्सा करने की जरुरत नहीं थी। मुझे किसी की ख़ुशी एक क्षण भी छिनने का अधिकार नहीं है । मैं सबको अपने जैसा ही क्यों मानने की गलती करूँ जब मुझे पता है की आदमी की कोई फोटो कापी नहीं होती ।


मेरे संजीदा दोस्तों मे से एक डा .अजीत विश्वविद्यालय में प्रवक्ता हैं । काबिल लेखक एवं कवि हैं लेकिन पारिवारिक दायित्व ज्यादा हैं । कभी- kabhi मुझसे कहते हैं कि आपकी जिन्दगी ठीक है,विवाह नाम की संस्था का हिस्सा बनेंते हैं तो मास्टरी करते रहो और शाम को बच्चों के ढूध का इंतजाम करते फिरो।


मेरे सहयोगी स्क्रिप्ट राईटर ने मुझसे कभी नहीं पूछा कि हम कितने दिन इस लोकेशन पर काम करेंगे और न जाने क्यों मैं भी उनसे कभी नहीं पूछ पाया कि आपको घर जाने की जल्दी तो नहीं है ?


शायद हम दोनों को ही इस बात का अंदाजा है कि इन सुहानी शामो में कोई नहीं है जो हमारे घर लौटने की राह देखता है .........










2 comments:

  1. please send your contact number on my mail id alokcmharyana@gmail.com

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