Friday, January 7, 2011

नूतन वर्ष की मंगल कामनाएँ

शुभकामनाएं
२१ वीं सदी का प्रथम दशक बड़ी जल्दी बीत गयानए दशक का आगाज एक नई आशा और विश्वाश के साथ हुआ हैहो सकता है की गुजरा वक्त आपको और मुझे कुछ कड़वी यादें दे गया हो या फिर कोई सुखद अहसास कि जिसके सहारे जिन्दगी गुजर जाएनई सुबह हर पुरानी सुबह की तरह ही होती है फिर भी किसी से मिलते समय गुड मार्निंग कहकर ही दिन की शुरुआत की जाती हैसमय बदलता है ,प्रकृति का नियम है लेकिन आज का दौर बड़े बदलाव का दौर हैये कुछ समय पहले की ही तो बात है जब सदी कि शुरुआत हुई थीदस साल कितनी तेजी के साथ बीत गएऐसे ही बदल जाता है बहुत कुछ ....रिश्ते, नाते , दोस्ती, विश्वास ..... सब कुछहमारा अपना देश भी बड़े बदलाव के दौर में हैदुनिया का हर तीसरा निरक्षर व्यक्ति भारत में रहता है और हम उसी दुनिया के आगे महाशक्ति होने का दम भरते हैंदेखिए, लोगों का चेहरा और चरित्र सब कुछ बदल रहा हैजिस देश में कलमाड़ी जैसे खिलाडी ,टाटा और नीरा राडिया जैसे बड़े लोग रहते हों ऐसे देश में सब कुछ तेजी के साथ ही तो बदलता है

हो रहा भारत निर्माण ....
आपने
टीवी पर वो विज्ञापन तो देखा ही होगा जिसमे एक गाने और सुन्दर विजुअल के साथ संपूर्ण भारत के दर्शन होते हैवह जिंगल है , हो रहा भारत निर्माण .... हो रहा भारत निर्माणहम जैसे नौजवानों को ही ये दायित्व दिया गया है कि भारत कि जनता को चाहते हुए भी ऐसे दर्शन कराओआइये एक बानगी देखिए ...... मैं राजस्थान के सीकर जिले में अपने एक दोस्त के साथ सफ़र में थासड़क किनारे एक छोटी पहाड़ी पर प्राची मंदिर देख कर थोड़ी देर के लिए रुक गएजब मंदिर से चलने लगे तो कुछ बच्चे हमसे पैसे कि मांग करने लगेमैंने बच्चों से कहा कि मैं आपको कुछ खाने को दे सकता हूँ लेकिन पैसे नहीं दूंगाबात का सिलसला चला तो पता लगा कि वो बच्चे मंदिर दर्शन को आने वाले हर राहगीर से पैसे की मांग करते हैंएक बच्चा जो छठी कक्षा का छात्र था , उससे मैंने पूछा बेटे! हमारे देश के प्रधान मंत्री कौन हैं' ? तो बच्चे का बिना लागलपेट उत्तर था .... ' वीरू '
सेंट कोलंबस में पढ़ने वाले उस उम्र के बच्चे से व्हाइट हॉउस के बारे में बात करें तो वहां कि गतिविधियों और मोनिका लेवेंस्की के बारे में सब जानकारी आपको मिल जाएगी . यही बदलाव का दौर है

शिक्षा का अधिकार
आजादी
के बाद सविंधान लिखने वालों ने भारत की जनता से ये वादा किया था कि दस वर्षों के दौरान हर अमी गरीब बच्चे को बिना किसी भेदभाव निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा दी जाएगीआजादी के ६३ साल बीत जाने के बाद शिक्षा का अधिकार अधिनियम -२००९ अब लागू हुआ हैक्या ये अधिनियम भी आर टी आई की तरह किर्यान्वित और प्रभावी हो सकेगा ? मुझे अक्सर ऐसी बातें परेशान करती हैं और राजस्थान के गाँव का वह बच्चा याद आता है .

मेरा ब्लॉग म्हारा हरियाणा
मेरी आदत कलम से लिखने की रही है इसलिए कंप्यूटर पर जरूरी काम ही करता हूँलत है कि ज़नाब छूटती ही नहीं..... । नववर्ष की पूर्व संध्या पर काफी कुछ लिखा लेकिन तकनीकी खराबी की वजह से सब मिट गया.... फिर से लिखने का साहस नहीं कर पायागत वर्ष एक समाचार- पत्र के मुख्य पृष्ट पर म्हारा हरियाणा ब्लॉग से स्टोरी की शुरुआत की गई थीपत्रकार मित्र को धन्यवाद
और अंत में .. पिछले वर्ष क्या हमने अपना हाथ किसी की मदद के लिए आगे बढाया था ?
यदि नहीं,तो अब बढाएँगे.
यदि
हाँ, तो ख़ुशी कितनी मिली थी उसका हिसाब लगा लीजिए
कुछ कड़वी यादें हो तो डिलीट कर दीजिए पुरानी फाईलों की तरह और एक भी याद सुनहरी हो तो ..... सुना है लोग उम्रें गुजर देते हैं ...........।
पुन:शुभकामनाएँ

No comments:

Post a Comment