Wednesday, September 15, 2010

चर्चा जारी है ....

हम जूते पर चर्चा कर रहे थे !जूते पर सबसे ज्यादा जूतम -पैजार हुई जब ये जार्ज बुश पर पड़ा !किसी शरीफ आदमी पर जूता पड़े तो और बात है ,दुनिया का सबसे बड़ा दादा देश जो कहता है कि वह जो भी करे सब ठीक है उस स्वयंभू रास्ट्र का राष्ट्रपति जार्ज बुश ! जिसने अपने बाप का हुकम न मानने वाले सद्दाम और इराक को मिटटी में मिला दिया !ऐसे मुखिया पर जूता पड़े और हल्ला न हो,ये कैसे हो सकता है ! कुछ समय बाद हमारे यहाँ एक प्रेस वार्ता में सिख पत्रकार द्वारा जूता फेंका गया !अब जूतों कि गिनती होने लगी कि ये कौनसा (कितनी बार) पड़ा है !आजकल मुन्नी जिस कदर बदनाम हुई है वैसे ही बदनाम हुआ है ये जूता !ज्यादा चले तो बदनाम न चले तो बदनाम पत्रकार जरनैल सिंह द्वारा जूता फेंकने की वजह माना गया सिख विरोधी दंगों के दोषियों पर उचित कार्रवाई नही किए जाना ! आपरेशन ब्लूस्टार करीब ६० घंटे चले इस सैन्य अभियान में भिंडरावाले के नेतृत्व में लड़ रहे लड़ाकों का सफाया किया गया !स्वर्णमंदिर में चले इस अभियान में १००० आतंकवादी और २०० सैनिक मारे गए !लेकिन इसके ५ महीने बाद ही इंदिरा गाँधी की हत्या कर दी गई !गाँधी की मृत्यु के साथ ही एक युग का अंत हो गया !इसके बाद सिक्ख विरोधी दंगों में हजारों लोगों की जाने गई !लगभग ३००० लोग दिल्ली के दंगों में मारे गए और १५०० सिक्खों ने शिविरों में शरण ली !इसका नतीजा ये निकला खालीस्तान आन्दोलन को बढ़ावा मिला और इसके कुचले जाने तक लगभग २५००० जाने गई !

Friday, September 3, 2010

ये जूता किस कम्पनी का है

जूता चाहे कैसा सा भी हो , पैर मे पहनने के ही काम आता है! परन्तु अब जूता, विरोध जताने के नए तरीके के रूप मे विकसित हुआ है ! हाल ही मे हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की सम्मान रैली मे मंच पर जूता फैका गया ! इतना होना था कि साथी मीडियाकर्मियों के फोन आने शुरू हुए , सभी को जरुरत थी जूते के दुर्लभ विजुअल की! इधर -उधर फोन करने पर भी जब विजुअल की बात नहीं बनी तो मित्रों का आग्रह था कि इतना तो पता कर ही सकते हैं कि जूता किस कम्पनी का है! इधर खोजबीन करने पर सामने आया कि रोहतक जिले के गाँव बनियानी के शक्ति सिंह ने जूता फेंककर अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया है ! इस पूरे प्रकरण में जहाँ शक्ति सिंह कि सरकार के प्रति अपनी नाराजगी थी वहीँ राजपूत सभा का भी इशारा रहा ! आक्रोश जताने का अपना एक तरीका होता है , लेकिन मैं जब भी भूपेंदर सिंह हुड्डा से मिला हूँ तो वे शांत और गंभीर नज़र आये है ! जब प्रदेश के विकास कि बात शुरू होती है तो वे ये भूल जाते है कि साक्षात्कार करने के लिए समय कितना निश्चित हुआ है! शक्ति सिंह को दिए गए आश्वासन बेशक पूरे न हुए हों , राजपूत सभा कि सरकार के प्रति राजनैतिक नाराजगी रही हो लेकिन मुझे नहीं लगता कि हरियाणा में ऐसी तानाशाह सरकार है कि युवाओं को राजनैतिक मंचों पर जूते फैक कर अपना विरोध दर्ज कराना पड़े ..........................! जूते पर चर्चा जारी है .......................................