Saturday, January 29, 2011

लव आजकल

कैसा ये प्यार है
आजकल प्रेम का रंग बदल रहा है । कैसी अजीब सी बात है ,प्रेम का भी कोई रंग होता है भला । प्रेम पर लिखने वालों ने लिखा ' प्रेम खेत न निपजै प्रेम न हाट बिकाय ' । प्रेम तो मनुष्य का श्रेष्टतम गुण है जो अपने अलावा दूसरे की परवाह करना भी सिखाता है । प्रेम दीवानी मीरा ने कृष्ण के प्रेम में कहा 'ऐसी लागी लगन मीरा हो गई मगन वो तो गली - गली हरि गुण गाने लगी '। प्रेम तो बस प्रेम है फिर क्यूँ सब कुछ अर्पण करने वाली परम्पराएं अब पुरानी सी पड़ने लगी हैं ।मशहूर शायर फैज़ ने लिखा है 'अब किसी लैला को भी इकरारे महबूबी नहीं कहता ,इन दिनों बदनाम है ऐसे दीवानों का नाम '। अब प्रेम का वजूद मिट रहा है । क्यूँ शायरों को ये कहने का मौका मिला कि वादे किए किसी से गुजारी किसी के साथ ।
पिछले दिनों देहरादून में एक उच्च शिक्षित व्यक्ति ने अपनी पत्नी का बेरहमी से क़त्ल कर लाश के टुकड़ों को फ्रीजर में छुपा दिया । दोनों ने लव मैरिज की थी जिसकी परिणति एक अपराध के रूप में हुई । इस अपराध की वजह चाहे जो भी रही हो लेकिन ये कैसा प्यार था जो कभी उन दोनों के बीच हुआ था ।
कुछ दिन पहले दिल्ली में एक अय्याश कवि ने मुझसे कहा की बन्धु तुम्हारे जैसे लडकों की समझ से बाहर की बात है मारी वाली मोहब्बत मैंने पलट कर उनसे कहा 'आप वाली मोहबतों की ही फिल्मे बनती हैं जनाब ' उन महोदय ने मेरी बात का गलत अर्थ लगा लिया और नाराज होकर चले गए ।
व्यक्तिगत रूप से मेरा इस विषय में ज्यादा दखल नहीं है लेकिन बेगम अख्तर से लेकर नुसरत और आबिदा परवीन तक सबको सुना है । कुए की मुंडेरो पर बैठ कर न जाने कितनी नज्मे और बुल्लेशाह की हीर गाए हैं मैंने । मैंने बुजुर्गों से बटवारे के समय के किस्से भी खूब सुने है की जमीन के साथ कैसे लोगों की मोहब्बत भी तकसीम हुई ।
मैंने ये भी सुना है कि सब कुछ बदल रहा है लेकिन कभी -कभी सब पढ़ा बेकार चला जाता है और सब तर्क फेल हो जाते हैं जब कोई दिल के दरवाजे पर दस्तक देता है ।

1 comment:

  1. "कभी -कभी सब पढ़ा बेकार चला जाता है और सब तर्क फेल हो जाते हैं जब कोई दिल के दरवाजे पर दस्तक देता है"

    "अय्याश कवि" आश्चर्य

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