Thursday, November 3, 2011

अलविदा 2011

नव वर्ष मंगलमय हो .. 

आज बड़े दिनों बाद ब्लॉग पर लिखना हो रहा है कुछ   दिन पहले काफी कुछ लिखा लेकिन सब डिलीट हो गया . ये जानते हुए  कि पत्रकारिता में संवादहीनता गलत मर्ज है, मै अक्सर अपने अजीज मित्रों के - मेल का जवाब भी नहीं दे पाता , इसकी वजह मेरी व्यस्तताए नहीं हैं बल्कि सफ़र में रहना और मेरा गैर- दुनियादार होना है

'अनफोरगेटेबल'
वर्ष 1998 कि एक तपती दोपहरी में मेरी एक मित्र ने गजल का अल्बम देते हुए कहा था कि' ये आपके लिए है' उन दिनों खुमारी ऐसी थी कि अल्बम कितनी बार सुना गया मुझे याद नहीं है वह अल्बम जगजीत सिंह और चित्रा जी कि आवाज में था  जिसका नाम है 'अनफोरगेटेबल '

अपने बेटे विवेक की मौत के बाद दरवेशों जैसी जिंदगी जीने वाले जगजीत सिंह का पिछले दिनों अवसान हो गया बहुत पहले से उन कदमो कि आहट  जान लेने वाले उस महान  कलाकार ने शायद मौत के कदमो कि आहट को भी उसी वक्त जान लिया होगा जब उन्होंने गाया  कि 'तुझे जिंदगी हम दूर से पहचान लेते हैं ' अल्बम देने वाला अब मेरे साथ नहीं है और ही जगजीत हमारे बीच हैं, उनकी आवाज हमेशा हमारे साथ रहेगी........ उसी तरह जैसे मैंने अल्बम को करीने से सजा कर रखा है

जगजीत और उनकी मखमली आवाज को नाचीज का सलाम


रागदरबारी 
हिंदी साहित्य की एक और बड़ी शख्सियत से हम वंचित हुए है और वे हैं श्रीलाल शुक्लदेश के एक मूर्धन्य साहित्यकार जिनसे प्रेरणा लेकर जाने कितने लोगों ने साहित्य की  पाठशाला में कदम रखायुवा साथियों से कहना चाहूँगा की मुंशी जी  का गोदान पढ़ने के बाद कोई पुस्तक पढ़ी जाए तो वह शुक्ल जी की  रागदरबारी.




 कुछ समय बाद  मनमौजे ढंग से  याहू कहने वाले शम्मी कपूर हमसे विदा हुए और वर्ष के अंत में 4  दिसम्बर को लन्दन से खबर थी कि देव साहब  नहीं रहे ....
मैं  जिंदगी  का साथ निभाता चला गया ....

देवानंद अपने ही तरह के  अलग फनकार थे, और ये गीत हमेशा  के लिए उनकी  जिंदगी  का थीम सांग बना    रहा  . मैंने अभी किसी पत्रिका में पढ़ा कि वो कहते थे कि बीता हुआ वक्त सिर्फ इतिहासकारों के लिए होता है . गाइड  मैंने सत्रह साल की उम्र में  पहली बार  देखी थी  उस  वक्त शायद वहीदा जी को ज्यादा गौर से देखा होगा ..........अब देव साहब के लिए गाइड  गौर से  देखूंगा .

                            अगली  बार हरियाणवी संस्कृति पर काफी कुछ  लिखा  जाएगा 


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