Friday, August 16, 2019

आवाज देकर हिमालय पुकार लेता है..

कुंजुम पास और चंद्रताल
अछूती वादियों का सफर करने के बाद लाहौल वापसी हो रही थी .हमारे लिए यह एक रोमांचक सफर था. रोमांचक इसलिए कि ऐसी यात्राओं में खुद को खोकर खुद को खोजना है .कई बार आदमी खुद से रूबरू होने की उम्मीद लिए सफर करता है.यह हिमालय का जादू भी है जिससे लंबे वक्त तक हम मुक्त नहीं हो पाते है .थोड़े वक्त बाद अतीत में जीते हुए कुछ दिन हम फिर से जी पाते हैं.. ऐसे सफर यादों के गलियारे में हमेशा दस्तक देते रहते हैं.

कुंजुम पास
 हिमाचल में लोग पास को जोत के नाम से पुकारते हैं . कुंजुम दर्रा कुल्लू घाटी और लाहौल स्पीति घाटी को जोड़ता है और तिब्‍बत से होकर गुजरता है। यह 4590 मीटर की ऊंचाई पर है और मनाली से 122 किमी दूर है .

चंद्रताल : चांद की धरती का नजारा
अर्धचंद्राकार चंद्रताल बेहद खूबसूरत झील है जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है.लाहौल व स्पीति घाटियों की सीमा पर कुंजम पास के नजदीक चंद्रताल से चंद्र नदी का उद्गम होता है जो आगे चलकर भागा नदी से मिलकर चंद्रभागा और जम्मू-कश्मीर में जाकर चेनाब कहलाती है । कैंपिंग के लिए यह शानदार जगह है.

लाहौल सौंदर्य और रोमांच की भूमि है जिसे 'लैंड ऑफ पासेस' पुकारा जाता है .लाहौल स्पीति में कई गांव है जो रहस्य से भरे और वीरान से लगते हैं .मेरे जैसे मुसाफिर के लिए यह सफर उम्मीद की सहर है...
काजा में तबीयत अचानक खराब हो गई,ऐसा पहली बार हुआ था कि सांसे नहीं जुड़ पा रही थी .काजा अस्पताल की डॉक्टर मुझे एमबीबीएस डॉक्टर समझ रही थी .चेकअप करने के बाद कहने लगी थोड़ा सा बी पी बढ़ गया है , आराम की जरूरत है .डॉक्टर ने फिर पूछा कि आपको पहले कोई बीमारी तो नही .मैंने कहा बीमारी तो कोई नहीं है मगर अब दिल पर ऐतबार नहीं है. मैं अपने आपको तसल्ली देते हुए अस्पताल से निकला और काजा से फिर आने का वादा करके विदा ली.

 लाहौल स्पीति के लोग बड़े जिंदा दिल है इसलिए इस सफर पर उन्हीं लोगों को निकलना चाहिए जिनका दिल बड़ा है. वे लोग इस सफर पर ना निकले जिनका दिल मुफलिस सा है या फिर जिनको अपने दिल पर ऐतबार नहीं..

 एक वो है जो मुझको अपनी जिंदगी मान बैठा ..
 एक मेरा ये दिल है जो मुफलिसी में जी रहा है.








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