मणियों की घाटी- स्पीति
रिकांगपिओ किन्नौर का दिल है जिसे दो संस्कृतियों का संगम कहा जाए तो गलत नहीं होगा।हम रिकांगपिओ से शिमला की तरफ रुख करते हैं तो हिंदू बहुल इलाका और काज़ा की तरफ चलते हैं तो बौद्ध संस्कृति स्वागत करती है । रिकांगपिओ में हिंदू और बौद्ध धर्म दोनों एक साथ सांस लेते हैं। इसी रिकांगपिओ को पार करते ही मणियों की घाटी स्पीति का सफर शुरू होता है।
स्पीति
लाहौल स्पीति हिमाचल का जनजातीय इलाका है और भारी हिमपात की वजह से कई महीने दुनिया से कटा रहता है। हिमालय की गोद में बसा स्पीति स्पितियान की सरजमीं है जिसे छोटा तिब्बत कहा जाता है । स्पीति गोम्पाओं की धरती है जिसके एक तरफ जम्मू -कश्मीर है तो दूसरी तरफ तिब्बत लगा हुआ है। स्पीति पहले पंजाब के कांगड़ा जिले का हिस्सा हुआ करता था मगर नए राज्य हिमाचल में लाहौल और स्पीति का विलय करके एक जिला बना दिया गया लाहौल -स्पीति, अब लाहौल और स्पीति अलग-अलग घाटियां हैं। स्पीति का मुख्यालय काज़ा में है और लाहौल का मुख्यालय केलांग में है । स्पीति में जिंदगी जीना आसान नहीं है मगर यहां के लोग तमाम मुश्किलों के बावजूद हौसले की बदौलत जिंदगी के सफर को तय करते हैं। यूं तो स्पीति की संस्कृति का अध्ययन अपने आप में एक रोचक अनुभव है मगर यहां के गांवों में गजब का आकर्षण है। स्पीति के मठ दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं।
ताबो मोनेस्ट्री
ताबो मठ की स्थापना 996 ईस्वी में हुई थी और यह देशभर में सबसे प्राचीन मठ है । ताबो यूनेस्को की विश्व धरोहर की सूची में शामिल है । ताबो को हिमालय का अजंता कहा जाता है क्योंकि इसकी दीवारों पर बेहतरीन नक्कासी की गई है । ताबो पुराने समय में शिक्षा का एक बड़ा केंद्र हुआ करता था और इसे बनाने में 46 साल लगे थे।
की मोनेस्ट्री
की मठ दुनिया भर में प्रसिद्ध है जिसकी स्थापना 11 वीं शताब्दी में हुई । की लाहौल -स्पीति का सबसे बड़ा मठ है और लद्दाख के थिकसे मठ जैसा लगता है । की मठ शांति और सद्भावना का प्रतीक है जिसके कमरे अधिकतर बंद रहते हैं । मठ में एक विशेष कक्ष है जो दलाई लामा के आगमन पर ही खुलता है।
किब्बर गांव
किब्बर 'की'मठ से लगभग 16 किलोमीटर की दूरी पर है जिसे विश्व का सबसे ऊंचाई पर बसा गांव माना जाता है ।समुद्र तल से किब्बर गांव की ऊंचाई 4850 मीटर है।किब्बर में लगभग 80 घर हैं जो पत्थरों से बने हैं । बौद्ध सभ्यता का जादुई सौंदर्य ,पहाड़ की ऊंची चोटियां और बर्फीला रेगिस्तान दूर तक फैला नजर आता है। पहाड़ों पर बनी गुफाओं में 'ओम मणि पद्मे हूम' मंत्रों की मधुर आवाज एक अलग अनुभूति का एहसास कराती है । मठ में चक्र घुमाते हुए लोगों को देखकर जिज्ञासा हो सकती है कि बौद्ध लोग इस चक्र को क्यों घुमाते हैं । इसकी मान्यता ये है कि इस चक्र को जितनी बार घुमाया जाएगा ये उतनी ही बार का फल दायक होगा।
धनकर मठ
धनकर मठ समुद्र तल से 3870 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। 17 वीं सदी में, धनकर स्पीति घाटी की राजधानी थी। धनकर बौद्ध मठ धनकर गांव में है जो ताबो और काजा के बीच स्पीति व पिन नदी के संगम पर है।
काज़ा
काज़ा स्पीति घाटी का मुख्यालय है जो इलाके का सबसे बड़ा और विकसित शहर है। सड़क मार्ग से शिमला होते हुए किसी भी मौसम मे काज़ा पहुंचा जा सकता है बशर्ते रास्ता बंद न हो जबकि रोहतांग और कुंजुम के माध्यम से मनाली रोड गर्मियों में ही खुलता है। मनाली से काजा तक केवल एक सरकारी बस चलती है। सड़क पर अक्सर भूस्खलन होता रहता है यही वजह है कि ये रास्ता बहुत दुर्गम माना जाता है। मगर जिनको इस रास्ते पर सफर करना है वो कब अपनी जान की परवाह करते हैं।
स्पीति का अर्थ मणियों को रखने की जगह से है और स्पीति की खाशियत भी यही है कि यहां दुनिया भर के नायाब पत्थर बिखरे पड़े हैं ।
लोग हैं कि दिल और रेत पर नाम लिखते फिर रहे हैं पत्थर पर लिखना है तो स्पीति आइए..एक बार जो लिखा तो फिर मिट न सकेगा।
रिकांगपिओ किन्नौर का दिल है जिसे दो संस्कृतियों का संगम कहा जाए तो गलत नहीं होगा।हम रिकांगपिओ से शिमला की तरफ रुख करते हैं तो हिंदू बहुल इलाका और काज़ा की तरफ चलते हैं तो बौद्ध संस्कृति स्वागत करती है । रिकांगपिओ में हिंदू और बौद्ध धर्म दोनों एक साथ सांस लेते हैं। इसी रिकांगपिओ को पार करते ही मणियों की घाटी स्पीति का सफर शुरू होता है।
स्पीति
लाहौल स्पीति हिमाचल का जनजातीय इलाका है और भारी हिमपात की वजह से कई महीने दुनिया से कटा रहता है। हिमालय की गोद में बसा स्पीति स्पितियान की सरजमीं है जिसे छोटा तिब्बत कहा जाता है । स्पीति गोम्पाओं की धरती है जिसके एक तरफ जम्मू -कश्मीर है तो दूसरी तरफ तिब्बत लगा हुआ है। स्पीति पहले पंजाब के कांगड़ा जिले का हिस्सा हुआ करता था मगर नए राज्य हिमाचल में लाहौल और स्पीति का विलय करके एक जिला बना दिया गया लाहौल -स्पीति, अब लाहौल और स्पीति अलग-अलग घाटियां हैं। स्पीति का मुख्यालय काज़ा में है और लाहौल का मुख्यालय केलांग में है । स्पीति में जिंदगी जीना आसान नहीं है मगर यहां के लोग तमाम मुश्किलों के बावजूद हौसले की बदौलत जिंदगी के सफर को तय करते हैं। यूं तो स्पीति की संस्कृति का अध्ययन अपने आप में एक रोचक अनुभव है मगर यहां के गांवों में गजब का आकर्षण है। स्पीति के मठ दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं।
ताबो मोनेस्ट्री
ताबो मठ की स्थापना 996 ईस्वी में हुई थी और यह देशभर में सबसे प्राचीन मठ है । ताबो यूनेस्को की विश्व धरोहर की सूची में शामिल है । ताबो को हिमालय का अजंता कहा जाता है क्योंकि इसकी दीवारों पर बेहतरीन नक्कासी की गई है । ताबो पुराने समय में शिक्षा का एक बड़ा केंद्र हुआ करता था और इसे बनाने में 46 साल लगे थे।
की मोनेस्ट्री
की मठ दुनिया भर में प्रसिद्ध है जिसकी स्थापना 11 वीं शताब्दी में हुई । की लाहौल -स्पीति का सबसे बड़ा मठ है और लद्दाख के थिकसे मठ जैसा लगता है । की मठ शांति और सद्भावना का प्रतीक है जिसके कमरे अधिकतर बंद रहते हैं । मठ में एक विशेष कक्ष है जो दलाई लामा के आगमन पर ही खुलता है।
किब्बर गांव
किब्बर 'की'मठ से लगभग 16 किलोमीटर की दूरी पर है जिसे विश्व का सबसे ऊंचाई पर बसा गांव माना जाता है ।समुद्र तल से किब्बर गांव की ऊंचाई 4850 मीटर है।किब्बर में लगभग 80 घर हैं जो पत्थरों से बने हैं । बौद्ध सभ्यता का जादुई सौंदर्य ,पहाड़ की ऊंची चोटियां और बर्फीला रेगिस्तान दूर तक फैला नजर आता है। पहाड़ों पर बनी गुफाओं में 'ओम मणि पद्मे हूम' मंत्रों की मधुर आवाज एक अलग अनुभूति का एहसास कराती है । मठ में चक्र घुमाते हुए लोगों को देखकर जिज्ञासा हो सकती है कि बौद्ध लोग इस चक्र को क्यों घुमाते हैं । इसकी मान्यता ये है कि इस चक्र को जितनी बार घुमाया जाएगा ये उतनी ही बार का फल दायक होगा।
धनकर मठ
धनकर मठ समुद्र तल से 3870 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। 17 वीं सदी में, धनकर स्पीति घाटी की राजधानी थी। धनकर बौद्ध मठ धनकर गांव में है जो ताबो और काजा के बीच स्पीति व पिन नदी के संगम पर है।
काज़ा
काज़ा स्पीति घाटी का मुख्यालय है जो इलाके का सबसे बड़ा और विकसित शहर है। सड़क मार्ग से शिमला होते हुए किसी भी मौसम मे काज़ा पहुंचा जा सकता है बशर्ते रास्ता बंद न हो जबकि रोहतांग और कुंजुम के माध्यम से मनाली रोड गर्मियों में ही खुलता है। मनाली से काजा तक केवल एक सरकारी बस चलती है। सड़क पर अक्सर भूस्खलन होता रहता है यही वजह है कि ये रास्ता बहुत दुर्गम माना जाता है। मगर जिनको इस रास्ते पर सफर करना है वो कब अपनी जान की परवाह करते हैं।
स्पीति का अर्थ मणियों को रखने की जगह से है और स्पीति की खाशियत भी यही है कि यहां दुनिया भर के नायाब पत्थर बिखरे पड़े हैं ।
लोग हैं कि दिल और रेत पर नाम लिखते फिर रहे हैं पत्थर पर लिखना है तो स्पीति आइए..एक बार जो लिखा तो फिर मिट न सकेगा।